राम जन्मभूमि मंदिर: अयोध्या,भारत
राम जन्मभूमि मंदिर :अयोध्या,भारत |
परिचय
यह पत्र श्री राम मंदिर के इतिहास, महत्व और वर्तमान मामलों का एक अवलोकन प्रस्तुत करता है। हम इसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व, मंदिर के निर्माण की ओर ले जाने वाले राजनीतिक घटनाक्रमों, और वर्तमान भारत में इसकी स्थिति का पुनरावलोकन करेंगे।
राम जन्मभूमि का संक्षिप्त ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हिंदुओं के दृष्टिकोण से, सबसे पवित्र स्थान भारत के अयोध्या में है, जो भगवान राम का जन्मस्थान है। हिंदू पौराणिक कथाओं और हिंदू महाकाव्य *रामायण* के अनुसार, भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था; इसलिए यह हिंदुओं के लिए पूजा का एक केंद्र बन गया। धार्मिक गतिविधियों के लिए कई सदियों से एक केंद्र होने के नाते, राम जन्मभूमि को भगवान राम के जन्मस्थान का सटीक स्थान माना जाता है।
प्राचीन और मध्यकालीन काल
सदियों से, इस स्थल पर भगवान राम के लिए समर्पित मंदिर थे। इस स्थान पर बाबरी मस्जिद का निर्माण 16वीं सदी की शुरुआत में **बाबर**, पहले मुग़ल सम्राट द्वारा किया गया था, जो एक ऐसा कार्य था जिसने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक लंबे समय से चल रहे विवाद और दुश्मनी को बढ़ावा दिया, क्योंकि यह मस्जिद एक कथित पवित्र स्थल के मामले में विवाद को और बढ़ाती है।
हिंदू स्रोतों का दावा है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण उस स्थल पर पहले से मौजूद एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था, जबकि मुस्लिम स्रोतों का कहना है कि यह मस्जिद खाली भूमि से बनी थी और इसका कोई अन्य धार्मिक संबंध नहीं था। यह तर्क हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कई सदियों की दुश्मनी का कारण बनता है, जिससे उन्हें उस स्थल के स्वामित्व पर विवाद करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
राम जन्मभूमि आंदोलन और बाबरी मस्जिद का ध्वंस
Image Source: Internet.राम जन्मभूमि आंदोलन और बाबरी मस्जिद का ध्वंस |
यह 1980 के दशक में कुछ गति प्राप्त करने लगा जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जिसका नेतृत्व **एल.के. आडवाणी** कर रहे थे, विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण के लिए Advocating करने लगी। यह केवल धार्मिक विश्वास का मामला नहीं था, बल्कि इसमें प्रमुख राजनीतिक धाराएँ भी शामिल थीं; यह हिंदुत्व के विचारधारा के लिए एक रैली का बिंदु बन गया और कुछ हद तक एक बहुसांस्कृतिक और बहुलवादी भारत में हिंदू पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रतीक बन गया।
1990 में, एल.के. आडवाणी ने बीजेपी की रथ यात्रा का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाना था। इस आंदोलन ने राजनीतिक और सामाजिक अशांति को और बढ़ा दिया - हिंदुओं की एक विशाल mobilization के साथ मुस्लिम समूहों द्वारा प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जो मुख्य रूप से बाबरी मस्जिद की स्थिति से संबंधित था।
6 दिसंबर, 1992 को, एक भीड़ ने हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया, जिससे पूरे भारत में व्यापक सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। यह ध्वंस राम जन्मभूमि के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि इसने न केवल बड़े राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विरोध को जन्म दिया, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के राजनीतिक परिदृश्य को भी बदल दिया। इस ध्वंस ने एक कानूनी लड़ाई और सांप्रदायिक तनाव की श्रृंखला को शुरू किया, जो आने वाले वर्षों तक भारत को प्रभावित करता रहा, और यह मुद्दा भारत की राजनीतिक कथा में गहराई से समाहित हो गया।
कानूनी लड़ाइयाँ और अदालत का निर्णय
राम जन्मभूमि स्थल पर कई दशकों से कानूनी विखंडन का सामना करना पड़ा है। बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद, विभिन्न स्वामित्व रूपों के संबंध में कई आरोप सामने आए। राम मंदिर के निर्माण की मांग करने वाले पक्षों में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और राम जन्मभूमि न्यास जैसे विभिन्न हिंदू संगठन शामिल थे, जबकि बाबरी मस्जिद/सितामगढ़ को पुनर्स्थापित करने वाले पक्ष ने विरोधी रुख अपनाया; उन्हें मुख्य रूप से मुस्लिम लीग और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) का समर्थन प्राप्त था।
2010 में, **इलाहाबाद उच्च न्यायालय** ने निर्णय दिया कि भूमि को तीन समान भागों में विभाजित किया जाए, जिसमें एक-तिहाई हिंदुओं को, एक-तिहाई मुसलमानों को, और एक-तिहाई निर्मोही अखाड़ा (एक हिंदू धार्मिक संप्रदाय) को दिया जाए। इस आदेश की काफी आलोचना हुई, विशेष रूप से क्योंकि यह स्वामित्व के मूल मुद्दे को substantively संबोधित करने में विफल रहा। हिंदू और मुस्लिम दोनों समूहों ने इस निर्णय के खिलाफ अपील की, और उनके सामने यह मुद्दा अंततः उच्चतम न्यायालय तक पहुँच गया।
**9 नवंबर 2019** को, एक ऐतिहासिक निर्णय में, **भारत के सुप्रीम कोर्ट** ने अपने फैसले में विवादित भूमि को हिंदुओं को राम मंदिर के निर्माण के लिए देने का आदेश दिया। इसने मुसलमानों के लिए एक मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक भूमि आवंटित करने का भी आदेश दिया। इस निर्णय ने एक लंबे समय से चल रहे कानूनी संघर्ष को समाप्त कर दिया और श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
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नींव का पत्थर रखना
**5 अगस्त 2020** को, प्रधानमंत्री **नरेंद्र मोदी** ने राम मंदिर की नींव का पत्थर बड़े धूमधाम से हिंदू पुजारियों द्वारा पारंपरिक अनुष्ठानों और मंत्रों के बीच रखा, इस कार्यक्रम में **आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत** जैसे कुछ उच्च-स्तरीय धार्मिक और राजनीतिक नेताओं ने भाग लिया। इसने मंदिर के निर्माण के लिए मंच तैयार किया, जो दशकों लंबे कानूनी-राजनीतिक संघर्ष के बाद संभव हुआ।
नींव का पत्थर रखना उन लाखों हिंदुओं की लंबे समय से संजोई गई आकांक्षाओं में सबसे बड़ा मील का पत्थर माना गया, जिन्होंने दशकों तक मंदिर के निर्माण के लिए आंदोलन किया। यह प्रसारण, जो देश भर में लाइव चलाया गया, राष्ट्रीय गर्व और तीव्र धार्मिक श्रद्धा का संगम था।
राम जन्मभूमि मंदिर :अयोध्या,भारत |
श्री राम मंदिर की वास्तुकला
श्री राम मंदिर का निर्माण प्राचीन हिंदू मंदिर वास्तुकला के अनुसार किया गया है, जो मुख्य रूप से **उत्तर-भारतीय नागर शैली** की विशिष्टता से प्रेरित है। प्रमुख धार्मिक विद्वानों, वास्तुकारों और इंजीनियरों के साथ विशेषज्ञ परामर्श ने मंदिर की वास्तु डिजाइन को तैयार किया है, और यह दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बनने के लिए तैयार है।
भगवान राम की मूर्ति, उनके जीवन और कहानी का प्रतिनिधित्व करने वाले देवताओं के साथ, **गर्भगृह** में स्थापित की जाएगी। पूरे मंदिर को *रामायण* के घटनाक्रमों को दर्शाते हुए जटिल नक्काशियों से सजाया जाएगा, जैसे भगवान राम का बचपन, उनका वनवास, और रावण पर उनकी विजय।
मंदिर के शीर्ष पर स्थित भव्य **शिखर** भगवान राम की व्यक्तिगत उपस्थिति का प्रतीक है। इसे उच्च गुणवत्ता वाले, टिकाऊ संगमरमर, जिसे **मकराना संगमरमर** के नाम से जाना जाता है, से स्थापित किया जाएगा। निर्माण चरणों में परियोजना के अनुसार किया जाएगा, जो हजारों भक्तों के लिए एक परिसर के रूप में बनाया जाएगा।
श्री राम मंदिर का भारतीय समाज पर प्रभाव
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श्री राम मंदिर का निर्माण भारतीय समाज पर गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव डालने की उम्मीद है। राम मंदिर हिंदू एकता, पहचान और पुनरुत्थान का प्रतीक बन गया है। करोड़ों हिंदुओं के लिए, यह मंदिर भक्ति और तीर्थ यात्रा का एक केंद्र बिंदु बनेगा। यह भारत के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करेगा।
राजनीतिक रूप से, मंदिर का निर्माण **भाजपा** के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है, जिसने राम मंदिर के निर्माण के लिए संघर्ष का समर्थन किया है। कई लोग इसे भाजपा द्वारा हिंदू समुदाय से किए गए वादे की पूर्ति के रूप में देखते हैं। यह मुद्दा विशेष संवेदनाओं से भरा हुआ है, क्योंकि भारतीय समाज का एक उपसमूह राजनीति में धर्म की भूमिका और आगे की साम्प्रदायिक तनावों को बढ़ाने की संभावना के बारे में चिंताओं को व्यक्त करता रहता है।
धर्म और राजनीति की भूमिका निर्माण में
राम मंदिर मुद्दा भारत में धर्म और राजनीति के बीच जटिल अंतःक्रिया को दर्शाता है। राम जन्मभूमि आंदोलन, जिसमें राजनीतिक स्वरूप था, ने हिंदू जनसंख्या के बड़े हिस्से को राजनीतिक मंच पर लाया और भाजपा को एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित किया। आलोचकों का कहना है कि कुछ राजनीतिक दलों ने इस आंदोलन का उपयोग अपने चुनावी लाभ के लिए किया, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में, जहां मंदिर आंदोलन के लिए समर्थन स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।
चाहे मंदिर के निर्माण का मुद्दा कितना भी विवादास्पद क्यों न हो, श्री राम मंदिर भारत के धार्मिक परिदृश्य के इतिहास में एक और मील का पत्थर है। यह इस बारे में मौलिक प्रश्न उठाता है कि धर्म राष्ट्रीय पहचान, सामाजिक एकता और राजनीतिक बहसों को कैसे आकार देता है।
निष्कर्ष
राम जन्मभूमि की कहानी, इसके आरंभ से लेकर वर्तमान निर्माण चरण तक, लंबी है और धार्मिक असहिष्णुता, राजनीतिक प्रतिशोध, और अनगिनत कानूनी उलझनों से भरी हुई है। जब मंदिर का निर्माण पूरा होगा, तो यह हिंदू faith के लाखों विश्वासियों के लिए एक विशाल उपलब्धि के रूप में कार्य करेगा, और यह भारतीय समाज में धर्म और उपनिवेश निर्माण की विविधताओं के बारे में एक निरंतर स्मरण के रूप में कार्य करेगा।
श्री राम मंदिर इस प्रकार विश्वास और संस्कृति का घर है, जिसमें सहनशीलता इसकी मुख्य विशेषता है। अयोध्या में बन रहा यह मंदिर वर्षों तक भक्ति, बहस, और चर्चा के संदर्भ में प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
1. **श्री राम मंदिर कहाँ स्थित है?**
- श्री राम मंदिर **अयोध्या** में स्थित है, जो भारत और उत्तर प्रदेश का एक शहर है, जिसे कई लोग भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं।
2. **राम जन्मभूमि स्थल का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
- राम जन्मभूमि स्थल को हिंदू धर्म के प्रतिष्ठित deity भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है। 16वीं सदी में बाबरी मस्जिद के निर्माण के कारण, यह विवादों का केंद्र बन गया है, जिसके चारों ओर पूरे परिदृश्य के पीछे की घटनाएँ केंद्रित रही हैं।
3.**श्री राम मंदिर के निर्माण का कारण क्या था?**
- **बाबरी मस्जिद** आपदा के बाद एक लंबी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई शुरू हुई। 2019 में, **भारत के सर्वोच्च न्यायालय** ने विवादित भूमि पर एक मंदिर बनाने का आदेश दिया।
4.**मंदिर की नींव कब रखी गई?**
- मंदिर की नींव **प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी** द्वारा **5 अगस्त 2020** को एक धार्मिक समारोह में रखी गई, जिसमें धार्मिक पवित्रता थी।
5.**श्री राम मंदिर का डिज़ाइन क्या है?**
- मंदिर का निर्माण **नागरा शैली** की वास्तुकला में किया गया है, और इसका बाहरी हिस्सा समृद्ध रूप से नक्काशीदार है। मंदिर के पास स्थित **शिखर** भगवान राम की मूर्ति से घिरा हुआ है। मंदिर के निर्माण के लिए **मकराना संगमरमर** का उपयोग किया जाएगा।
राम जन्मभूमि मंदिर :अयोध्या,भारत |
References
1. "The Ram Janmabhoomi Movement." *India Today*.
2. "Legal Battle Over Ram Janmabhoomi." *The Times of India*.
3. "Supreme Court Verdict on Ram Janmabhoomi." *Indian Express*.
4. "The Rise of the BJP and the Ram Mandir." *The Hindu*.
5. "Architectural Details of Sri Ram Mandir." *Architectural Digest India*.
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